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srshti rachana

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नमस्ते मैं तरूण , पिछले आर्टिकल में मैंने आप से वास्तविक भगवान के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे थे। उन में से पहले प्रश्न का उत्तर अधूरा रह गया था मै आज उसे पूरा करने के लिए यह ब्लॉग लिख रहा हूं।              when god made you  ?              भूमिका अनादि काल से ही मानव परम शांति, सुख व अमृत्व की खोज में लगा हुआ है। वह अपने सामर्थ्य सामर्थ्य के अनुसार प्रयत्न करता आ रहा है लेकिन उसकी यह चाहत कभी पूर्ण नहीं हो पा रही है। ऐसा इसलिए है कि उसे इस चाहत को प्राप्त करने के मार्ग का पूर्ण ज्ञान नहीं है। सभी प्राणी चाहते हैं कि कोई कार्य न करना पड़े, खाने को स्वादिष्ट भोजन मिले, पहनने को सुन्दर वस्त्र मिलें, रहने को आलीशान भवन हों, घूमने के लिए सुन्दर पार्क हों, मनोरंजन करने के लिए मधुर-2 संगीत हों, नांचे-गांए, खेलें-कूदें, मौज-मस्ती मनांए और कभी बीमार न हों, कभी बूढ़े न हों और कभी मृत्यु न होवे आदि-2, परंतु जिस संसार में हम रह रहे हैं यहां न तो ऐसा कहीं पर नजर आता है और न ही ऐसा संभव है। क्योंकि यह लोक नाशवान है, इस ...

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नमस्ते मैं तरूण , पिछले आर्टिकल में मैंने आप से वास्तविक भगवान के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे थे। उन में से पहले प्रश्न का उत्तर अधूरा रह गया था मै आज उसे पूरा करने के लिए यह ब्लॉग लिख रहा हूं। *परमात्मा साकार है तथा उसका नाम कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है* 👇👇👇👇👇 (गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।)  भावार्थ  है.   कि पूर्णब्रह्म का शरीर का नाम कबीर (कविर देव) है। उस परमेश्वर का शरीर *नूर तत्व* से बना है।परमात्मा का शरीर अति सूक्ष्म है जो उस साधक को दिखाई देता है जिसकी *दिव्य दृष्टि* खुल चुकी है। इस प्रकार जीव का भी सूक्ष्म शरीर है जिसके ऊपर पाँच तत्व का खोल (कवर) अर्थात पाँच तत्व की काया चढ़ी होती है जो माता-पिता के संयोग से (शुक्रम) वीर्य से बनी है। शरीर त्यागने के पश्चात् जीव जिस भी योनी में जाता है। जीव का सूक्ष्म शरीर साथ रहता है। *वह शरीर उसी साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि* खुल चुकी है। इस प्रकार परमात्मा व जीव की साकार स्थिति समझे । *‘भक्तों का वर्तमान विष के तुल्य होता है और परिणाम अमृत के तुल्य होता है’* 👇👇👇👇 गीता अध्याय 18 श्ल...