srshti rachana

नमस्ते मैं तरूण , पिछले आर्टिकल में मैंने आप से वास्तविक भगवान के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे थे।उन में से पहले प्रश्न का उत्तर अधूरा रह गया था मै आज उसे पूरा करने के लिए यह ब्लॉग लिख रहा हूं।

"तीनों गुण क्या हैं ? प्रमाण सहित"

 "तीनों गुण रजगुण ब्रह्मा जी , सतगुण विष्णु जी , तमगुण शिव जी हैं । ब्रह्म ( काल ) तथा प्रकृति ( दुर्गा ) से उत्पन्न हुए हैं तथा तीनों नाशवान हैं । प्रमाण : - गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री शिव महापुराण जिसके सम्पादक हैं । श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार पृष्ठ सं . 24 से 26 विद्यवेश्वर संहिता तथा पृष्ठ 10 अध्याय 9 रूद्र संहिता “ इस प्रकार ब्रह्मा - विष्णु तथा शिव तीनों देवताओं में गुण हैं , परन्तु शिव ( ब्रह्म - काल ) गुणातीत कहा गया है ।
                  दूसरा प्रमाण : - गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद् देवीभागवत पुराण जिसके सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार चिमन लाल गोस्वामी , तीसरा स्कंद , अध्याय 5 पृष्ठ 123 : - भगवान विष्णु ने दुर्गा की स्तुति की : कहा कि मैं ( विष्णु ) , ब्रह्मा तथाशंकर तुम्हारी कृपा से विद्यमान है। हमारा तो आविर्भाव(जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु)  होती है। हम नित्य ( अविनाशी ) नहीं हैं । तुम ही नित्य हो , जगत जननी हो , प्रकृति और सनातनी देनी हो । भगवान शंकर ने कहाः यदि भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु से उत्पन्न हुए हैं तो उनके वाद उत्पन्न होने वाला मैं तमोगुणी लीला करने वाला अकर वया तुम्हारी संतान नहीं हुआ ? अर्थात मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हों । 
                      इस संसार  की सृष्टी - स्थिति - संहार में तु ्हारे गुण सदा सर्वदा हैं । इन्हीं तीनों गुणों से उत्पन्न हम , ब्रह्मा - विष्णु तथा शंकर नियमानुसार कार्य में तत्पर रहते हैं । उपरोक्त यह विवरण केवल हिन्दी में अनुवादित श्री देवीमहापुराण से है , जिसमें कछ तथ्यों को छुपाया गया है । इसलिए यही प्रमाण देखें श्री मद्देवीभागवत महापुराण सभाषटकम् समहात्यम् , खेमराज श्री कृष्ण दारा प्रकाशन मुम्बई , इसमें संस्कृत सहित हिन्दी अनुवाद किया है  । तीसरा स्कद अध्याय 4 पृष्ठ 10 , श्लोक 42 : बह्मा - अहम् ईश्वरः फिल ते प्रभावात्सर्वे वयं जनि यता न यदा त नित्याः , के । अन्ये सराः शतमख प्रमुखाः च नित्या नित्या त्वमेव जननी प्रकृतिः पुराणा । ( 42 ) । हिन्दी अनुवाद : - हे मात ! ब्रह्मा , मैं तथा शिव तुम्हारे ही प्रभाव से जन्मवान हैं । नित्य नही हैं अर्थात हम अविनाशी नहीं हैं , फिर अन्य इन्द्रादि दूसरे देवता किस प्रकार नित्य हो सकते हैं । तुम ही अविनाशी हो , प्रकृति तथा सनातनी देवी ( 12 ) पृष्ठ 11- 12 , अध्याय 5 , श्लोक 8 : - यदि दयार्दमना न सदाऽविके कथमहं विहितः च तमोगुणः कमलजश्च रजोगुणसंभवः सुविहितः किमु सत्वगुणों हरिः । ( 8 ) । | अनुवाद : - भगवान शंकर बोले : - हे मात ! यदि हमारे ऊपर आप दयाराक हो तो । मुझे तमोगुण क्यों बनाया , कमल से उत्पन्न ब्रह्मा को रजोगुण किस लिए बनाया तथा विष्णु को सतगुण क्यों बनाया ? अर्थात् जीवों के जन्म - मृत्यु रूपी दुष्कर्म में क्यों लगाया । श्लोक 2 : - रमयसे स्वपतिं पुरुषं सदा तवं गतिं न हि विह विद्म शिवे ( 12 ) । हिन्दी - अपने पति पुरुष अर्थात् काल भगवान के साथ सदा भोग - विलास करती रहती हो । आपकी गति कोई नहीं जानता । निष्कर्ष - उपरोक्त प्रमाणों से प्रमाणित हुआ की रजगण - ब्रह्मा , सतगण विष्ण । तथा तमगुण शिव है ये तीनों नाशवान है । दुर्गा का पति ब्रह्म ( काल ) है यह उसके साथ भोग विलास करता है ।



विस्तृत विवरण  के लिए कृप्या अगले आर्टिकल का इंतजार करें !
https://youtu.be/oGo8le8pqv4
मैं मिलूंगा आपसे ऐसी ही रोचक जानकारी के साथ ।
     
धन्यवाद !
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