srshti rachana
नमस्ते मैं तरूण , पिछले आर्टिकल में मैंने आप से वास्तविक भगवान के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे थे।उन में से पहले प्रश्न का उत्तर अधूरा रह गया था मै आज उसे पूरा करने के लिए यह ब्लॉग लिख रहा हूं।
" ब्रह्मा का अपने पिता ( काल / ब्रह्म ) की प्राप्ति के लिए प्रयत्न "
तब दुर्गा ने ब्रह्मा जी से कहा कि अलख निरंजन तुम्हारा पिता है परन्तु वह तुम्हें दर्शन नहीं देगा । ब्रह्मा ने कहा कि मैं दर्शन करके ही लौटूंगा । माता ने पूछा कि यदि तुझे दर्शन नहीं हुए तो क्या करेगा ? ब्रह्मा ने कहा मैं प्रतिज्ञा करता हूँ । यदि पिता के दर्शन नहीं हुए तो मैं आपके समक्ष नहीं आऊंगा । यह कह कर ब्रह्मा जी व्याकुल होकर उत्तर दिशा की तरफ चल दिया जहाँ अन्धेरा ही अन्धेरा है । वहाँ ब्रह्मा ने चार युग तक ध्यान लगाया परन्तु कुछ भी प्राप्ति नहीं हुई । काल ने आकाशवाणी की कि दुर्गा सृष्टी रचना क्यों नहीं की ? भवानी ने कहा कि आप का ज्येष्ठ पुत्र ब्रह्मा जिद्द करके आप कीतलाश में गया है । ब्रह्म ( काल ) ने कहा उसे वापिस बुला लो । मैं उसे दर्शन नहीं दूँगा । ब्रह्मा के बिना जीव उत्पति का सब कार्य असम्भव है । तब दुर्गा ( प्रकृति ) ने अपनी शब्द शक्ति से गायत्री नाम की लडकी उत्पन्न की तथा उसे ब्रह्मा को लौटा लाने को कहा ।
गायत्री ब्रह्मा जी के पास गई परंतु ब्रह्मा जी समाधि लगाए हुए थे उन्हें कोई आभास ही नहीं था कि कोई आया है । तब आदि कुमारी ( प्रकृति ) ने गायत्री को ध्यान द्वारा बताया कि इस के चरण स्पर्श कर । तब गायत्री ने ऐसा ही किया।ब्रह्मा जी का ध्यान भंग हुआ तो क्रोध वश बोले कि कौन पापिन है जिसने मेरा ध्यान भंग किया है।मै तुझे शाप दूंगा । गायत्री कहने लगी कि मेरा दोष नहीं है पहले मेरी बात सुनो तब शाप देना । मेरे को माता ने तम्हें लौटा लाने को कहा है क्योंकि आपके बिना उत्पत्ति नहीं हो सकती । ब्रह्मा ने कहा कि मैं कैसे जाऊँ ? पिता जी के दर्शन हुए नहीं , ऐसे जाऊँ तो मेरा उपहास होगा । यदि आप माता जी के समक्ष यह कह दें कि ब्रह्मा ने पिता ( ज्योति निरंजन )के दर्शन हुए है, मैंने अपनी आँखो से देखा है तो मैं आपको साथ चलूं । तब गायत्री ने कहा कि आप मेरे साथ संभोग ( सेक्स ) करोगे तो मैं आपकी झूठी साक्षी ( गवाही ) भरूंगी । तब ब्रह्मा ने सोचा कि पिता के दर्शन हए नहीं , वैसे जाऊं तो माता के सामने शर्म लगेगी और चारा नहीं दिखाई दिया , फिर गायत्री से रति क्रिया ( संभोग ) की । तब गायत्री ने कहा कि क्यों न एक गवाह और तैयार किया जाए । ब्रह्मा ने कहा बहुत ही अच्छा है । तब गायत्री ने शब्द शक्ति से एक लड़की ( पुहपवति नाम की )पैदा की तथा उससे दोनों ने कहा कि आप गवाही देना कि ब्रह्मा ने पिता के दर्शन किए हैं। तब पुहपवति ने कहा कि मैं क्यों झूठी गवाही दूं? हाँ , यदि ब्रह्मा मेरे से रति क्रिया संभोग करें तो गवाही दे सकती हूँ। गायत्री ने ब्रह्मा को समझाया ( उकसाया)कि और कोई चारा नहीं है तब ब्रह्मा ने पुहपवति से संभोग किया तो तीनों मिलकर आदि माया( प्रकृति) के पास आए । दोनों देवियों ने उपरोक्त शर्त इसलिए रखी थी कि यदि ब्रह्मा माता के सामने हमारी झूठी गवाही को बता देगा तो माता हमें शाप दे देगी।इसलिए उसे भी दोषी बना लिया ।( यहाँ महाराज गरीबदास जी कहते है कि - " दास गरीब यह चूक धुरों धुर ")
" ब्रह्मा का अपने पिता ( काल / ब्रह्म ) की प्राप्ति के लिए प्रयत्न "
तब दुर्गा ने ब्रह्मा जी से कहा कि अलख निरंजन तुम्हारा पिता है परन्तु वह तुम्हें दर्शन नहीं देगा । ब्रह्मा ने कहा कि मैं दर्शन करके ही लौटूंगा । माता ने पूछा कि यदि तुझे दर्शन नहीं हुए तो क्या करेगा ? ब्रह्मा ने कहा मैं प्रतिज्ञा करता हूँ । यदि पिता के दर्शन नहीं हुए तो मैं आपके समक्ष नहीं आऊंगा । यह कह कर ब्रह्मा जी व्याकुल होकर उत्तर दिशा की तरफ चल दिया जहाँ अन्धेरा ही अन्धेरा है । वहाँ ब्रह्मा ने चार युग तक ध्यान लगाया परन्तु कुछ भी प्राप्ति नहीं हुई । काल ने आकाशवाणी की कि दुर्गा सृष्टी रचना क्यों नहीं की ? भवानी ने कहा कि आप का ज्येष्ठ पुत्र ब्रह्मा जिद्द करके आप कीतलाश में गया है । ब्रह्म ( काल ) ने कहा उसे वापिस बुला लो । मैं उसे दर्शन नहीं दूँगा । ब्रह्मा के बिना जीव उत्पति का सब कार्य असम्भव है । तब दुर्गा ( प्रकृति ) ने अपनी शब्द शक्ति से गायत्री नाम की लडकी उत्पन्न की तथा उसे ब्रह्मा को लौटा लाने को कहा ।
गायत्री ब्रह्मा जी के पास गई परंतु ब्रह्मा जी समाधि लगाए हुए थे उन्हें कोई आभास ही नहीं था कि कोई आया है । तब आदि कुमारी ( प्रकृति ) ने गायत्री को ध्यान द्वारा बताया कि इस के चरण स्पर्श कर । तब गायत्री ने ऐसा ही किया।ब्रह्मा जी का ध्यान भंग हुआ तो क्रोध वश बोले कि कौन पापिन है जिसने मेरा ध्यान भंग किया है।मै तुझे शाप दूंगा । गायत्री कहने लगी कि मेरा दोष नहीं है पहले मेरी बात सुनो तब शाप देना । मेरे को माता ने तम्हें लौटा लाने को कहा है क्योंकि आपके बिना उत्पत्ति नहीं हो सकती । ब्रह्मा ने कहा कि मैं कैसे जाऊँ ? पिता जी के दर्शन हुए नहीं , ऐसे जाऊँ तो मेरा उपहास होगा । यदि आप माता जी के समक्ष यह कह दें कि ब्रह्मा ने पिता ( ज्योति निरंजन )के दर्शन हुए है, मैंने अपनी आँखो से देखा है तो मैं आपको साथ चलूं । तब गायत्री ने कहा कि आप मेरे साथ संभोग ( सेक्स ) करोगे तो मैं आपकी झूठी साक्षी ( गवाही ) भरूंगी । तब ब्रह्मा ने सोचा कि पिता के दर्शन हए नहीं , वैसे जाऊं तो माता के सामने शर्म लगेगी और चारा नहीं दिखाई दिया , फिर गायत्री से रति क्रिया ( संभोग ) की । तब गायत्री ने कहा कि क्यों न एक गवाह और तैयार किया जाए । ब्रह्मा ने कहा बहुत ही अच्छा है । तब गायत्री ने शब्द शक्ति से एक लड़की ( पुहपवति नाम की )पैदा की तथा उससे दोनों ने कहा कि आप गवाही देना कि ब्रह्मा ने पिता के दर्शन किए हैं। तब पुहपवति ने कहा कि मैं क्यों झूठी गवाही दूं? हाँ , यदि ब्रह्मा मेरे से रति क्रिया संभोग करें तो गवाही दे सकती हूँ। गायत्री ने ब्रह्मा को समझाया ( उकसाया)कि और कोई चारा नहीं है तब ब्रह्मा ने पुहपवति से संभोग किया तो तीनों मिलकर आदि माया( प्रकृति) के पास आए । दोनों देवियों ने उपरोक्त शर्त इसलिए रखी थी कि यदि ब्रह्मा माता के सामने हमारी झूठी गवाही को बता देगा तो माता हमें शाप दे देगी।इसलिए उसे भी दोषी बना लिया ।( यहाँ महाराज गरीबदास जी कहते है कि - " दास गरीब यह चूक धुरों धुर ")
विस्तृत विवरण के लिए कृप्या अगले आर्टिकल का इंतजार करें !
मैं मिलूंगा आपसे ऐसी ही रोचक जानकारी के साथ ।
धन्यवाद !
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