srshti rachana


नमस्ते मैं तरूण , पिछले आर्टिकल में मैंने आप से वास्तविक भगवान के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे थे।उन में से पहले प्रश्न का उत्तर अधूरा रह गया था मै आज उसे पूरा करने के लिए यह ब्लॉग लिख रहा हूं।

" माता ( दुर्गा ) द्वारा ब्रह्मा को शाप देना "
         
तब माता ने ब्रह्मा से पूछा क्या तुझे तेरे पिता के दर्शन हुए ? ब्रह्मा ने कहा हाँ मुझे पिता को दर्शन हुए हैं । दुर्गा ने कहा साक्षी बता । तब ब्रह्मा ने कहा इन दोनों के समक्ष साक्षात्कार हुआ है । देवी ने उन दोनों लड़कियों से पूछा क्या तुम्हारे सामने ब्रह्म का साक्षात्कार हुआ है तब दानों ने कहा कि हाँ , हमने अपनी आँखों से देखा है । फिर भवानी ( प्रकृति ) को संशय हुआ कि मुझे तो ब्रह्म ने कहा था कि मैं किसी को दर्शन नहीं दूंगा , परन्त ये कहते हैं कि दर्शन हुए हैं । तब अष्टंगी ने ध्यान लगाया और काल / ज्योति निरंजन से पूछा कि यह क्या कहानी है ? ज्योति निंरजन जी ने कहा कि ये तीनों झूठ बोल रहे हैं । तब माता ने कहा तुम झूठ बोल रहे हो । आकाशवाणी हुई हैकि इन्हें कोई दर्शन नहीं हुए । यह बात सुनकर ब्रह्मा ने कहा कि माता जी में सौगंध खाकर पिता की तलाश करने गया था । परन्तु पिता ( ब्रहा ) के दर्शन हुए नहीं । आप के पास आने में शर्म लग रही थी । इसलिए हमने झूठ बोल दिया । तब माता ( दुर्गा ) ने कहा कि अब मैं तुम्हें शाप देती हूँ ।

ब्रह्मा को शाप : - - तेरी पूजा जग में नहीं होगी । आगे तेरे वंशज होंगे ये बहुत पाखण्ड करेंगे । झूठी बात बना कर जग को ठगेंगे । ऊपर से तो कर्म काण्ड करते दिखाई देंगे अन्दर से विकार करेंगे । कथा पुराणों को पढ़कर सुनाया करेंगे , स्वयं को ज्ञान नहीं होगा कि सद्ग्रन्थों में वास्तविकता क्या है , फिर भी मान वश तथा धन प्राप्ति के लिए गुरु बन कर अनुयाइयों को लोकवेद ( शास्त्र विरुद्ध दंत कथा ) सुनाया करेंगे । देवी - देवों की पूजा करके तथा करवाके , दूसरों की निन्दा करके कष्ट पर कष्ट उठायेंगे । जो उनके अनुयाई होंगे उनको परमार्थ नहीं बताएंगे । दक्षिणा के लिए जगत को गमराह करते रहेंगे । अपने आपको सबसे अच्छा मानेंगे , दसरों को नीचा समझेंगे । जब माता के मुख से यह सुना तो ब्रह्मा मुर्छित होकर जमीन पर गिर गया । बहुत समय उपरान्त होश में आया ।
  गायत्री को  शाप : - - तेरे कई सांड पति होंगे । तू मृतलोक में गाय बनेगी ।
 पुहपवति को शाप : - - तेरी जगह गंदगी में होगी । तेरे फूलों को कोई पूजा में नहीं लाएगा । इस झूठी गवाही के कारण तुझे यह नरक भोगना होगा । तेरा नाम केवड़ा केतकी होगा । ( हरियाणा में कुसोंधी कहते हैं । यह गंदगी ( कुरड़ियों ) वाली जगह पर होती है ।

इस प्रकार तीनों को शाप देकर माता भवानी बहुत पछताई । ( इस प्रकार पहले तो जीव बिना सोचे मन ( काल निरंजन ) के प्रभाव से गलत कार्य कर देता है परन्तु जब आत्मा ( सतपुरुष अंश ) के प्रभाव से उसे ज्ञान होता है तो पीछे पछताना पड़ता है । जिस प्रकार माता - पिता अपने बच्चों को छोटी सी गलती के कारण ताड़ते हैं ( क्रोधवश रोकर ) परन्त बाद में बहत पछताते हैं । यही प्रक्रिया मन ( काल - निंरजन ) के प्रभाव से सर्व जीवों में क्रियावान हो रही है । हाँ , यहाँ एक बात विशेष है कि निरंजन ( काल ब्रह्म ) ने भी अपना कानुन बना रखा है कि यदि कोई जीव किसी दुर्बल जीव को सताएगा तो उसे उसका बदला देना पड़ेगा । जब आदि भवानी ( प्रकृति , अष्टंगी ) ने ब्रह्मा , गायत्री व पुहपवति को शाप दिया तो अलख निरंजन ( ब्रहा - काल ) ने कहा कि हे भवानी ( प्रकृति / अष्टंगी ) यह आपने अच्छा नहीं किया । अब मैं ( निरंजन ) आपको शाप देता है कि द्वापर युग में तेरे भी पाँच पति होंगे । ( दोपदी ही आदिमाया का अवतार हुई है । ) जब यह आकाश वाणी सुनी तो आदि माया ने कहा कि हे ज्योति निरजन ( काल ) मैं तेरे वश पड़ी हूँ जो चाहे सो कर ले । "


विस्तृत विवरण  के लिए कृप्या अगले आर्टिकल का इंतजार करें !
मैं मिलूंगा आपसे ऐसी ही रोचक जानकारी के साथ ।
     
धन्यवाद !

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